टमाटर नहीं, मटन से भी महंगी होने के बावजूद, यह सब्जी आपको कुछ खास खूबियों के कारण लोग खरीद रहे हैं।

 टमाटर नहीं, मटन से भी महंगी होने के बावजूद, यह सब्जी आपको कुछ खास खूबियों के कारण लोग खरीद रहे हैं। चलिए, हम इस सब्जी की कीमत और इसे विशेष बनाने वाली खूबियों को जानते हैं।

आजकल देश भर में सब्जियों के दाम बहुत बढ़ रहे हैं। चाहे वो टमाटर, हरी मिर्च या भिंडी हो, सब्जी के दाम ने आम आदमी का बजट बहुत प्रभावित कर दिया है और लोग अब सब्जियां काफी किफायती तरीके से ही खरीद रहे हैं। लेकिन झारखंड के रांची में इन दिनों एक ऐसी सब्जी है, जिसका दाम 100-200 रुपये नहीं, बल्कि 1000 रुपये प्रति किलो है।

रुगड़ा

यह सब्जी रुगड़ा के नाम से पुकारी जाती है और यह झारखंड के बाजारों में इन दिनों बहुत उपलब्ध है। रुगड़ा जब सावन के महीने में उगता है, तो यह जमीन से निकलता है और लोग इसे बड़ी चाव से खाते हैं। रुगड़ा की सब्जी की मांग इतनी ज्यादा है कि बाजार में 1000 रुपये प्रति किलो बेची जा रही है।

बाजार में रुगड़ा बेचने वाली महिला बताती है कि यह सब्जी आमतौर पर 2,000 रुपये प्रति किलो तक कीमत पर बिक जाती है, फिर भी लोग इसे खरीदते हैं। रुगड़ा की खरीदारी करने आई महिलाएं बताती हैं कि रुगड़ा का स्वाद बेहद अच्छा होता है, इसलिए लोग इसे मनपसंद रूप से खाते हैं। यह सब्जी लोगों के मुताबिक मटन के समान ही स्वादिष्ट होती है।

दुकानदार बताते हैं कि यह सब्जी बरसात के दिनों में सखुआ के पेड़ के नीचे से निकलती है। यह एक प्राकृतिक सब्जी है जो सिर्फ जंगलों में पाई जाती है। लोग अक्सर इसे छत्तीसगढ़ से खरीद कर लाते हैं और फिर इसे बेच देते हैं। हालांकि, वर्तमान में झारखंड के हाटों में इस सब्जी का बहुत ज्यादा प्रचार हो रहा है। लोगों में रूगड़ा के प्रति एक जबरदस्त क्रेज देखा जा रहा है।

रुगड़ा एक प्रकार की प्राकृतिक सब्जी है, जो भारतीय राज्य झारखंड की प्रमुखता में होती है। इसे अंग्रेज़ी में “Kusum Saag” या “Chaulai Greens”  (Rubbed) के नाम से भी जाना जाता है। यह सब्जी उन पेड़ों के पत्तों से बनाई जाती है जो सखुआ या अमरांथ पौधे से मिलते हैं। रुगड़ा को आमतौर पर साग या तरी के रूप में बनाया जाता है और इसे विभिन्न तरीकों से पकाया जाता है जैसे कि सूखे के साथ तला हुआ, ग्रेवी के साथ पकाया हुआ या बनी हुई सब्जी के रूप में। इसका स्वाद उमदा होता है और इसे पोषण से भरपूर माना जाता है। रुगड़ा को लोग आमतौर पर दाल और चावल के साथ खाते हैं और यह झारखंड की स्थानीय खाद्य पदार्थों में से एक माना जाता है।

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