Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) भारतीय राजनीति के एक प्रमुख चुनाव रणनीतिकार और राजनीतिक सलाहकार हैं। उनकी रणनीतियों और अभियानों ने कई चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाई है और भारतीय राजनीति के परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस जीवनी में, हम उनके जीवन, करियर, और भारतीय राजनीति में उनके योगदान पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) का जन्म 20 मार्च 1977 को बिहार के बक्सर जिले में हुआ था। उनका पालन-पोषण एक साधारण परिवार में हुआ और प्रारंभिक शिक्षा भी बिहार में ही हुई। किशोर ने बाद में हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने पब्लिक हेल्थ में उच्च शिक्षा प्राप्त की और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के साथ काम किया।
संयुक्त राष्ट्र से राजनीति तक का सफर
Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) ने अपने करियर की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के रूप में की। यहाँ पर उन्होंने विभिन्न देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी परियोजनाओं पर काम किया। इस अनुभव ने उन्हें विभिन्न समाजों और उनकी आवश्यकताओं को गहराई से समझने का अवसर प्रदान किया। हालांकि, उनका असली जुनून राजनीति में था और 2011 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र छोड़कर भारतीय राजनीति में कदम रखा।
मोदी की जीत: एक महत्वपूर्ण मोड़
2014 के आम चुनावों में Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम किया। उन्होंने ‘सिटिजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस’ (CAG) की स्थापना की और इस समूह ने भाजपा के लिए एक व्यापक और प्रभावी चुनावी अभियान तैयार किया। यह अभियान तकनीकी नवाचारों, सोशल मीडिया, और जमीनी स्तर पर प्रभावशाली रणनीतियों का मिश्रण था।
‘चाय पर चर्चा’, ‘रन फॉर यूनिटी’, और ‘3D रैलियों’ जैसी पहलें Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) की रचनात्मकता और राजनीतिक समझ का परिणाम थीं। उनकी इन रणनीतियों ने नरेंद्र मोदी को एक जननायक के रूप में स्थापित करने में मदद की और भाजपा को बड़ी जीत दिलाई।
अन्य दलों के साथ काम
2014 की सफलता के बाद, Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) ने कई अन्य राजनीतिक दलों के साथ भी काम किया। 2015 में, उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) के लिए रणनीतिकार के रूप में काम किया। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के महागठबंधन ने इस चुनाव में बड़ी जीत हासिल की और Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) की रणनीतियों को काफी सराहा गया।
कांग्रेस और अन्य चुनौतियां
2017 में, Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए काम किया, लेकिन इस बार सफलता उनके हाथ नहीं लगी। हालांकि, उन्होंने कांग्रेस के चुनाव अभियान में कई नए पहलुओं को जोड़ा और इसे अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया।
2021 में, उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और ममता बनर्जी के लिए काम किया। उनकी रणनीतियों और अभियानों ने टीएमसी को बड़ी जीत दिलाई और Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) की साख को और मजबूत किया।
आई-पैक की स्थापना
Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) ने 2015 में ‘इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी’ (I-PAC) की स्थापना की। यह संगठन भारतीय राजनीति में पेशेवर चुनावी रणनीतियों और अभियानों को विकसित करने पर केंद्रित है। I-PAC ने कई चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) के नेतृत्व में इसने राजनीति में नवाचार और पेशेवरता को नया आयाम दिया है।
निजी जीवन
Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) अपने निजी जीवन को काफी निजी रखते हैं। उनके परिवार और व्यक्तिगत जीवन के बारे में सार्वजनिक जानकारी बहुत कम है। वे अपने काम में पूरी तरह से समर्पित हैं और अपने परिवार के साथ कम समय बिताने के बावजूद अपने काम में सफलता की नई ऊंचाइयां छूते रहे हैं।
भविष्य की योजनाएं
Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) ने 2021 में घोषणा की कि वे चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी भूमिका से हटना चाहते हैं और बिहार में एक नई राजनीतिक पहल शुरू करना चाहते हैं। उन्होंने ‘बात बिहार की’ नामक एक अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य बिहार के विकास और समृद्धि के लिए एक व्यापक योजना तैयार करना है। इस पहल के माध्यम से, वे बिहार की राजनीति में एक नई दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं।
निष्कर्ष
Prashant Kishor (प्रशांत किशोर) ने भारतीय राजनीति में एक अद्वितीय स्थान हासिल किया है। उनकी रणनीतियों और अभियानों ने न केवल चुनावी परिणामों को प्रभावित किया है, बल्कि राजनीतिक अभियानों की परिभाषा को भी बदल दिया है। वे एक दूरदर्शी नेता हैं जिन्होंने भारतीय राजनीति में पेशेवरता और नवाचार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उनके काम की सराहना भारत के प्रमुख राजनीतिक नेताओं और दलों द्वारा की जाती है और उनका योगदान भारतीय राजनीति में लंबे समय तक याद किया जाएगा।