Pune: पुणे पोर्श (Pune Porsche) हादसे में पुलिस की जांच में पांच लापरवाहियों का खुलासा: ब्लड सैंपल में 8 घंटे की देरी, सीसीटीवी फुटेज गायब, आरोपी को तरजीह, और सबूत नष्ट करने के आरोप। पढ़ें पूरी खबर और जानें कैसे ये लापरवाहियां पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रही हैं।
Pune Porsche हादसे में पुलिस जांच में लापरवाही की पांच बातें
प्रमुख बिंदु:
- हादसे के 8 घंटे बाद ब्लड सैंपल, पब से CCTV भी गायब…
- येरवडा पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर और एपीआई द्वारा कंट्रोल रूम को दुर्घटना की जानकारी न देने की लापरवाही
- नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल लेने में 8 घंटे की देरी, जिससे अल्कोहल का स्तर कम हो सकता है
- ब्लैक क्लब से सीसीटीवी फुटेज न मिलने की समस्या
- नाबालिग आरोपी को पुलिस स्टेशन में तरजीह देने के आरोप और पुलिस कमिश्नर द्वारा स्वीकार की गई पुलिसकर्मियों की गलतियां
पुणे पोर्श कार हादसे में कई खुलासे हो रहे हैं। अब पुलिस की पड़ताल में लापरवाही की जानकारी सामने आ रही है।
पहली लापरवाही
येरवडा पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर (PI) और एपीआई उस रात दुर्घटना स्थल पर पहुंचे, लेकिन कंट्रोल रूम को दुर्घटना के बारे में सूचित नहीं किया। इस कारण रात के समय डीसीपी संदीप सिंह गिल को घटना की जानकारी नहीं हुई। इससे आने वाले दिनों में उनके खिलाफ उच्च अधिकारियों द्वारा कार्रवाई भी की जा सकती है।
दूसरी लापरवाही
हादसा लगभग 2.30 बजे हुआ और नाबालिग आरोपी के ब्लड रक्त के सैंपल सुबह 11 बजे लिए गए। इसमें लगभग 8 घंटे का अंतर है और इससे ब्लड में अल्कोहल का लेवल कम हो सकता है। नाबालिग आरोपी को थाने ले जाकर रात में ही ब्लड सैंपल के लिए अस्पताल ले जाया जा सकता था।
तीसरी लापरवाही
ब्लैक क्लब पुलिस अधिकारियों को सीसीटीवी फुटेज नहीं मिला। अगर पुलिस अधिकारी रात में ही ब्लैक क्लब गए होते तो संभावना थी कि उन्हें कुछ सबूत मिल जाते।
चौथी लापरवाही
आरोप है कि नाबालिग आरोपी को पुलिस स्टेशन ले जाने के बाद और जब वह पुलिस स्टेशन में था, तो उसे तरजीह दी गई थी। उसके संबंध में एसीपी रैंक के अधिकारी से जांच कराई जा रही है। ऐसा ही एक आरोप यह है कि आरोपी को पुलिस स्टेशन में पिज़्ज़ा परोसा गया था, हालांकि प्राथमिक तौर पर पुलिस को इसमें कोई सच्चाई नहीं मिली। पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि हमने साफ तौर पर कहा है कि पुलिस स्टेशन में पिज्जा पार्टी नहीं हुई थी। लेकिन हां, कुछ ऐसा हुआ था जिसके लिए हमने आंतरिक जांच शुरू कर दी है।
पांचवीं लापरवाही
पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए यह बात स्वीकार की कि केस दर्ज करते समय कुछ पुलिसकर्मियों से गलती हुई थी। उन्होंने कहा कि सबूत नष्ट करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि हम जांच कर रहे हैं और ऐसा करने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 201 (सबूत नष्ट करना) के तहत कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि एक लैब में परीक्षण के लिए अतिरिक्त ब्लड सैंपल लिए गए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोनों नमूने और डीएनए रिपोर्ट एक ही व्यक्ति के थे या नहीं। उन्होंने कहा कि हमें अभी तक ब्लड रिपोर्ट नहीं मिली है, लेकिन प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है।
क्या था मामला?
यह घटना 19 मई की सुबह की है। पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 वर्षीय बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई। इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई। कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था। हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था।
Watch: पुणे पोर्शे कार एक्सीडेंट केस में नाबालिग आरोपी के वायरल वीडियो पर मां ने बहाए आंसू, कहा- ‘मेरे बेटे को…’
पुणे पोर्शे कार हादसे में नाबालिग आरोपी की मां शिवानी अग्रवाल ने बेटे के वायरल वीडियो को फेक बताते हुए सफाई दी है। उन्होंने मीडिया से अनुरोध किया कि यह वीडियो उनके बेटे का नहीं है, जो डिटेंशन सेंटर में है। पुलिस ने इस मामले में नाबालिग के दादा, एक दोस्त, और पूर्व ड्राइवर से भी पूछताछ की है। हादसे में दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की मौत हो गई थी, और पुलिस ने दावा किया कि किशोर नशे में कार चला रहा था। किशोर को किशोर न्याय बोर्ड ने पर्यवेक्षण गृह भेज दिया है। पुलिस ने नाबालिग के पिता, जो एक प्रमुख बिल्डर हैं, को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है।