जगन्नाथ मंदिर की अद्भुत और रहस्यमयी कहानी
Jagannath Temple Puri: पुरी, उड़ीसा में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर को विश्व के सबसे पवित्र और रहस्यमयी मंदिरों में गिना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर का निर्माण कैसे हुआ और इसके पीछे क्या चमत्कारी कहानी छुपी है?
राजा इन्द्रद्युम्न को मिला ईश्वरीय आदेश
भगवान विष्णु के परम भक्त राजा इन्द्रद्युम्न को एक स्वप्न में आदेश मिला कि वह समुद्र किनारे एक लकड़ी से बनी दिव्य मूर्ति पाएंगे और वहां भव्य मंदिर बनवाएं।
समुद्र से आई दिव्य लकड़ी
जैसा सपना था, वैसा ही हुआ। समुद्र किनारे एक विशेष लकड़ी का लठ्ठा बहकर आया। तभी एक वृद्ध कारीगर (जो विश्वकर्मा माने जाते हैं) प्रकट हुआ और मूर्तियाँ बनाने की शर्त रखी कि 21 दिन तक कोई दरवाज़ा न खोले।
मूर्तियाँ रह गईं अधूरी
राजा से रहा नहीं गया और उन्होंने 15 दिन बाद दरवाज़ा खोल दिया। वृद्ध कारीगर गायब था, और तीन अधूरी मूर्तियाँ वहां थीं – भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की।
यही अधूरी मूर्तियाँ बनीं आराध्य
आज भी यही अधूरी मूर्तियाँ मंदिर में स्थापित हैं। उनकी आंखें बड़ी हैं और हाथ अधूरे, लेकिन इन्हें ही दिव्य और चमत्कारी माना जाता है।
पुरी रथ यात्रा: जब भगवान खुद आते हैं भक्तों के पास
हर वर्ष विशाल रथ यात्रा निकलती है जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग पुरी आते हैं।
चमत्कार जो वैज्ञानिक भी नहीं समझ पाए
- ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
- मंदिर की छाया दिन में कभी नहीं गिरती।
- शिखर को किसी भी कोण से देखें, वह सामने ही लगता है।
श्री जगन्नाथ मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, रहस्य और चमत्कार का प्रतीक है। इसकी स्थापना की कहानी हमें सिखाती है कि जब विश्वास और भक्ति सच्ची हो, तो ईश्वर खुद मार्ग दिखाते हैं।