Rautia Community: Historical and current perspective in Hindi

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ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

रौतिया जाति (Rautia caste) का इतिहास मुख्य रूप से क्षत्रिय परंपराओं और लड़ाकू भूमिका से जुड़ा हुआ है। यह समुदाय प्राचीन काल में राजपूतों से संबंधित माना जाता था और सामरिक भूमिकाओं में सक्रिय था। इनकी प्रमुख उपस्थिति झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और बिहार (वर्तमान में यह पूर्वी तटीय क्षेत्र से सटे राज्यों जैसे असम, पश्चिम बंगाल तथा कुछ प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, बैंगलोर, महाराष्ट्र और अंडमान निकोबार आदि में पाया जाता है तथा कई अन्य देशों में भी पाया जाता है)  के क्षेत्रों में रही है। इतिहास के अनुसार, रौतिया जाति (Rautia caste) ने राजपूत राजकुमारों की रक्षा और समर्थन किया था, जिसके बदले में उन्हें लोहरदग्गा और जशपुर जैसे क्षेत्रों में ज़मीन दी गई थी। रावत शब्द, जिसका अर्थ राजकुमार होता है,  रौतिया नाम ‘रावत’ से लिया गया है, जिसका अर्थ राजकुमार होता है, और यह उपाधि राजाओं के संबंधियों द्वारा धारण की जाती थी। वे प्रमुख रूप से सैन्य सेवा के बदले छोटानागपुर के राजा की संपत्तियों के स्वामी बने थे।

रौतिया
महत्वपूर्ण जन्संख्या वाले क्षेत्र
झारखंडछत्तीसगढ़ओडिशा
भाषा
• नागपुरी • हिन्दी
धर्म
हिन्दू

भाषा और संस्कृति:
रौतिया जाति (Rautia caste) हिंदी की सादरी बोली बोलती है, और उनकी संस्कृति और भाषा पर स्थानीय प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यह समुदाय मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर रहा है, और उनका सामाजिक ढांचा परंपराओं और आदिवासी रीति-रिवाजों से गहराई से जुड़ा हुआ है।

प्राचीन संपत्ति और समाज में स्थान:
इतिहास में, रौतिया (Rautia) समुदाय को झारखंड के छोटानागपुर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर भूमि और संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त था। यह समुदाय समाज में ऊँचे ओहदों पर काबिज था और इनके पास पर्याप्त संपत्ति और धन था। पंचायत में इनकी भागीदारी महत्वपूर्ण मानी जाती थी, और सामाजिक निर्णयों में इनकी राय अहम होती थी।

वर्तमान स्थिति

समय के साथ, रौतिया जाति (Rautia caste) का विकास रुक-रुक कर हुआ है। जहाँ कभी ये समुदाय समाज में ऊँचे दर्जे पर था, आज यह समुदाय अन्य समुदायों की तुलना में विकास के मामले में पिछड़ गया है। वर्तमान में, रौतिया समुदाय (Rautia Community) की जनसंख्या घनत्व अन्य समुदायों के मुकाबले कम है, और यह समुदाय आर्थिक और सामाजिक रूप से संघर्ष कर रहा है।
इसके अलावा, भूमि और संपत्ति के मामलों में भी यह समुदाय पीछे हो गया है। पहले जो भूमि इनकी थी, वह आपसी बँटवारे या गैर-आदिवासियों को बेच दी गई। इसका परिणाम यह हुआ कि रौतिया समुदाय (Rautia Community) धीरे-धीरे आर्थिक रूप से कमजोर होता गया। शिक्षा, कृषि, और रोजगार के क्षेत्र में भी इनकी भागीदारी कम हो गई है।

अनुसूचित जनजाति दर्जा और सामाजिक सुधार

2016 के बाद, रौतिया समुदाय (Rautia Community) ने अपनी स्थिति को पुनः प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना शुरू किया। इस समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने की मांग जोर पकड़ने लगी। झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास और केंद्रीय जनजातीय मामलों की राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने रौतिया समुदाय (Rautia Community) को जल्द ही एसटी का दर्जा दिलाने का आश्वासन दिया था। इससे इस समुदाय को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने की संभावना बढ़ी है।

आधुनिक सामाजिक विभाजन:
रौतिया समाज में एक दिलचस्प सामाजिक विभाजन देखा जा सकता है। यह समुदाय दो प्रमुख गुटों में बँटा हुआ है – मुख्य रौतिया गंझू (गैर-आदिवासी) और चेरो (आदिवासी) रौतिया। मुख्य रौतिया और अन्य जातियों या जनजातियों की महिलाओं के संबंध से उत्पन्न संतान को भी समाज में पिता का नाम और थोड़ी जमीन दी जाती थी। आज के समय में यह स्पष्ट रूप से बताना कठिन हो गया है कि कौन किस गुट से संबंधित है, क्योंकि सामाजिक पहचान जटिल हो गई है।

निष्कर्ष

रौतिया जाति (Rautia caste)का इतिहास गौरवशाली और उच्च सामाजिक स्थिति से जुड़ा हुआ है। परंतु वर्तमान में यह समुदाय कई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने से इस समुदाय की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है। उनके इतिहास और वर्तमान के बीच के अंतर को समझना सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।

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