Swarved Mahamandir Dham | स्वर्वेद महामंदिर धाम | विश्व के सबसे बड़े साधना केन्द्रों में है.

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HIGHLIGHTS

  • मंदिर में 135 फीट ऊंची सद्गुरु सदाफल देव की सैंडस्टोन प्रतिमा का निर्माण हुआ है।
  • मंदिर में 3 लाख घन फीट में ही नक्काशी दार गुलाबी सैंडस्टोनका प्रयोग हो रहा है।
  • स्वर्वेद महामंदिर में मकराना संगमरमर की दीवारों पर 4,000 स्वर्वेद दोहे उत्कीर्ण होंगे।





 

Swerved


देश की आध्यात्मिक-सांस्कृतिक राजधानी उमरान में निर्माणाधीन विशाल साधना केंद्र  स्वर्वेद महामंदिर अपने आप में अनूठा है। कारण यह है कि यह मंदिर शिल्प और अत्याधुनिक तकनीक के अद्भुत सामंजस्य का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इस मंदिर में विहंगम योग की 98वीं वर्षगांठ पर पहुंचे थे.

विश्वनाथ धाम के साथ ही यह महान मंदिर काशी के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के शिखर को भी ऊंचा करने वाला है। वर्तमान में यहां तीन दिवसीय वार्षिक उत्सव मनाया जा रहा है। जिसमें आज पीएम मोदी भी शामिल होने पहुंचे और देश भर से आए श्रद्धालुओं को संबोधित किया.



अगर हम इस मंदिर की बात करें तो यह वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। 64 हजार वर्ग फुट में बन रहे सात मंजिला महामंदिर का निर्माण करीब 18 साल पहले शुरू हुआ था। अब मंदिर में स्वर्वेद  के दोहे अंकित किए जा रहे हैं। मुख्य गुम्बद 125 पंखुड़ियों वाले विशाल कमल के फूल के समान है।

गुजरात में जीआरसी तकनीक से बन रहे नौ गुंबद नौ कमल के समान होंगे। स्वर्वेद  महामंदिर को देश का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र भी माना जाता है। महामंदिर परिसर में सद गुरुदेव की 100 फीट ऊंची बलुआ पत्थर की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी।

Swarved Mahamandir Dham | स्वर्वेद महामंदिर धाम

मई 2017 में स्वर्वेद  महामंदिर धाम में 21 हजार कुण्डीय स्वर्वेद  परवर्ती ज्ञान महायज्ञ हुआ। उस समय इसे इतिहास का सबसे बड़ा यज्ञ भी कहा जाता था। विहंगम योग के माध्यम से नशामुक्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाले आध्यात्मिक अभियान से हर साल लाखों लोग जुड़ रहे हैं।

 तीन लाख वर्ग फुट में गुलाबी पत्थरों को तराशने के लिए 350 से ज्यादा शिल्पकार जुटे हैं. प्राचीन स्थापत्य के अनुरूप निर्मित हो रहे इस दिव्य आध्यात्मिक केंद्र की एक झलक पाने के लिए विश्व के अनुयायी उत्सुक हैं।

महामंदिर में मकराना पत्थर पर स्वरवेद के दोहे अंकित होंगे। वाटर जेट तकनीक की मदद से 50 हजार वर्ग फुट पर पांच हजार दोहे उकेरे जा रहे हैं। महामंदिर को सुंदर बनाने के साथ-साथ स्थापत्य का भी पूरा ध्यान रखा गया है। पूर्व दिशा में बहने वाली नहर को जल चिन्ह के रूप में स्थापित किया जाता है।

 13 से 15 दिसंबर तक स्वर्वेद महामंदिर धाम में होने वाले विहंगम योग संत समाज और 5100 कुंडिया विश्वशांति वैदिक महायज्ञ की 98वीं वर्षगांठ में भाग लेने के लिए विभिन्न प्रांतों और विदेशों से अनुयायी पहुंचे हैं.



4 लाख स्क्वेयर फीट में वाटर प्रूफ पंडाल का इंतजाम किया गया है. भंडारे के लिए सात बड़े भोजनालय और छह कैंटीन की व्यवस्था की गई है। पूरे महामंदिर परिसर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है।

स्वर्वेद


स्वर्वेद का अर्थ क्या है?
स्वर्वेद की व्युत्पत्ति 2 शब्दों से ली गई है- ‘स्वाह’ का अर्थ है ब्रह्म, सार्वभौमिक ऊर्जा और ‘वेद’ का अर्थ है ज्ञान। एक आध्यात्मिक ग्रन्थ स्वर्वेद को समर्पित मूल रूप से 7 चक्रों को समर्पित 7 तलों का यह एक आध्यात्मिक मंदिर है। महामंदिर का मुख्य उद्देश्य मानव जाति को अपनी शानदार आध्यात्मिक विरासत से जोड़ना, उसकी आभा और अनुभवों से दुनिया को परिचित कराना है। 



यज्ञ त्याग भाव है। अग्नि की ज्वाला सदैव ऊपर की ओर उठती है। अग्नि को बुझा सकते हैं, नीचे झुका नहीं सकते। वैसे ही हमारा जीवन भी ऊध्र्वगामी हो, श्रेष्ठ औश्र पवित्र पथ पर, कल्याणकारी पथ पर निरंतर गतिशील रहे। अग्नि को पवित्र करती है, शुद्ध करती है। हमारे अंतःकरण में ज्ञान की अग्नि जलती रहे, अंधेरा न हो हमारे अंतःकरण में। शरीर में कर्म की अग्नि जलती रहे। इन्द्रियों में तप की अग्नि जलती रहे। श्रेष्ठ विचारों की, सद्विचारों की अग्नि प्रज्ज्वलित रहे। अशुभ नष्ट होता रहे। यज्ञ की अग्नि यही संदेश देती है।




सन्त प्रवर विज्ञानदेव महाराज ने उमरहां, वाराणसी स्थित स्वर्वेद महामन्दिर धाम पर 5101 कुण्डीय विश्व शान्ति वैदिक महायज्ञ में व्यक्त किए। संत प्रवर ने यह भी कहा कि यज्ञ श्रेष्ठ मनोकामनाओं की पूर्ति और पर्यावरण शुद्धि का भी साधन है। परन्तु यज्ञ यहीं तक सीमित नहीं है। वैदिक हवन यज्ञ हमारे भीतर त्याग की भावना का विकास करता है। मैं और मेरा से ऊपर उठकर विश्व शान्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। आज हो रहे ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकने का यह एक ससक्त माध्यम है। इस पर सभी पर्यावरण चिंतको का ध्यान अवश्य होना चाहिए। यज्ञ एवं योग के सामंजस्य से ही विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। महाराज जी ने बताया कि यज्ञ का धुँआ कोई डीजल या पेट्रोल का धुंआ नहीं है। यह आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों का लाभकारी धूम्र है जिससे स्वास्थ्य लाभ एवं पर्यावरण शुद्धि दोनों का लाभ होता है।



यह महायज्ञ विहंगम योग के 98वें वार्षिकोत्सव, देश की आजादी के लिए विहंगम योग के प्रणेता सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज की जेल यात्रा के शताब्दी वर्ष और आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित 3 दिवसीय कार्यक्रम में हुआ जिसमें लगभग 1 लाख लोगों ने भाग लिया।

भव्य एवं आकर्षक ढंग से सजी 5101 कुण्डीय यज्ञ वेदियों में वैदिक मंत्रों की ध्वनि से संपूर्ण वातावरण शुचिता को धारण करते हुए गुंजायमान हो उठा। विश्वशांति वैदिक महायज्ञ में संपूर्ण भारत वर्ष के साथ के साथ दर्जनों देशो से आए भक्तों ने एक साथ इस पावन अवसर पर भौतिक एवं आध्यात्मिक उत्थान के निमित्त वैदिक मंत्रोंच्चारण के साथ यज्ञ कुंड में आहुति को प्रदान किये।



इस कार्यक्रम में विहंगम सेवा केंद्र का भव्य वृहत स्टाल लगा है जहाँ पर आश्रम द्वारा प्रकाशित सैकड़ो साहित्य, आध्यात्मिक मासिक पत्रिका , विशुद्ध जड़ी बूटियों से निर्मित आयुर्वेदिक औसाधियाँ, गो आधारित पंचगव्य औषधियों आदि सेवा प्रकल्पों का केंद्र बना हुआ है। कार्यक्रम में 14 दिसंबर को पधारे मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई ट्वीट कर कार्यक्रम के लिए अपनी शुभकामनाएँ भी व्यक्त की हैं।

कार्यक्रम स्थल स्वर्वेद महामन्दिर धाम विश्व के सबसे बड़े साधना केन्द्रों में है। लाखों टन श्वेत मकराना संगमरमर एवं गुलाबी सैण्डस्टोन से सुसज्जित यह महामन्दिर सद्गुरुदेव के आध्यात्मिक महाग्रंथ स्वर्वेद के साथ-साथ ऋषि संस्कृति का भी संदेश दे रहा है। मन्दिर के भीतर एवं बाहर लगी एक-एक कलाकृति किसी न किसी आध्यात्मिक संदर्भ या संदेश पर आधारित है। महामन्दिर का निर्माण तेजी से पूर्णता की ओर बढ़ रहा है।

कार्यक्रम स्थल स्वर्वेद महामन्दिर धाम विश्व के सबसे बड़े साधना केन्द्रों में है। लाखों टन श्वेत मकराना संगमरमर एवं गुलाबी सैण्डस्टोन से सुसज्जित यह महामन्दिर सद्गुरुदेव के आध्यात्मिक महाग्रंथ स्वर्वेद के साथ-साथ ऋषि संस्कृति का भी संदेश दे रहा है। मन्दिर के भीतर एवं बाहर लगी एक-एक कलाकृति किसी न किसी आध्यात्मिक संदर्भ या संदेश पर आधारित है। महामन्दिर का निर्माण तेजी से पूर्णता की ओर बढ़ रहा है।

Swarved Mahamandir Dham | स्वर्वेद महामंदिर धाम | विश्व के सबसे बड़े साधना केन्द्रों में है.

और सबसे बड़ी सेवा, मानवता की सेवा है। महामन्दिर में हर-जाति धर्म के 20,000 लोग एक साथ ध्यान साधना कर सकेंगे। विहंगम योग की साधना पर अनेक देशों में हुए वैज्ञानिक शोध यह सिद्ध कर चुके हैं कि इस साधना द्वारा व्यक्ति का स्वयं के मन पर नियंत्रण होने लगता है। नशा-मुक्ति सहित समस्त अनुचित कार्यों के प्रति मनुष्य स्वयं को रोक लेता है। अच्छे विचारों, अच्छे कार्यों की ओर प्रवृत्ति होने लगती है। एक श्रेष्ठ मनुष्य का निर्माण संसार की सबसे बड़ी सेवा है।

कार्यक्रम के संध्याकालीन सत्र में सन्त प्रवर विज्ञानदेव जी महाराज ने अपने सत्संग अमृत में स्वर्वेद महाग्रंथ की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वर्वेद ईश्वरीय ज्ञान का सद्ग्रंथ है, कोई बुद्धि के आधार पर लिखा गया ग्रंथ नहीं है। यह अमर हिमालय योगी सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज के योग समाधि में अनुभवों की अभिव्यक्ति है। अन्तिम सत्र में सद्गुरु आचार्य स्वतंत्रदेव महाराज की अमृतवाणी हुई। स्वामीजी ने बतलाया कि हमें सांसारिक मनोकामनाओं के बजाय सद्गुरु से भक्ति की ही मांग करनी चाहिए। एक भक्त की हर आवश्यकता समय से पूर्ण हो जाती है। प्रेम की पराकाष्ठा ही भक्ति है। अनन्य प्रेम एवं समर्पण भाव जीवन को बहुत आगे ले जाता है। भक्त-शिष्यों का जिज्ञासा-भाव विपरीत मौसम पर भारी था।

Swarved Mahamandir Dham is one of the largest meditation centers in the world.


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