एकादशी कब है: 2025 में एकादशी तिथियों की जानकारी एकादशी, हिंदू धर्म के कैलेंडर में महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, जिसे हर महीने दो बार मनाया जाता है – शुक्ल पक्ष की एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी. यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु की उपासना के लिए किया जाता है. इस दिन उपवास रखना और भक्तिपूर्वक पूजा करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है.
2025 में एकादशी तिथियाँ:
- तुलसी एकादशी (शुक्ल पक्ष) – 19 जनवरी, 2025 (रविवार)
यह एकादशी विशेष रूप से तुलसी के पौधे की पूजा करने का महत्व रखती है. इसे ‘व्रज एकादशी’ भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति मिलती है.
- माघ शुक्ल एकादशी – 18 फरवरी, 2025 (मंगलवार)
माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘मोक्ष एकादशी’ भी कहा जाता है. इसे विशेष रूप से मोक्ष की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है.
- पद्म एकादशी (कृष्ण पक्ष) – 4 मार्च, 2025 (मंगलवार)
यह एकादशी विशेष रूप से पद्मासना भगवान विष्णु की पूजा के लिए जानी जाती है. इस दिन व्रति पूरी श्रद्धा से उपवास रखते हैं.
- चैत शुक्ल एकादशी – 9 अप्रैल, 2025 (बुधवार)
चैत महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाने से आत्मिक शांति और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
- नेमिनाथ एकादशी – 23 मई, 2025 (शुक्रवार)
यह एकादशी विशेष रूप से जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाई जाती है और इसे भगवान नेमिनाथ की पूजा का अवसर माना जाता है.
- धनुष एकादशी (कृष्ण पक्ष) – 17 जून, 2025 (मंगलवार)
यह एकादशी विशेष रूप से व्रत और उपवास रखने का दिन है, जो जीवन में समृद्धि और संतोष लाने में सहायक होती है.
- कैलाश एकादशी – 15 जुलाई, 2025 (मंगलवार)
कैलाश एकादशी का महत्व भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की पूजा से जुड़ा हुआ है, इसे विशेष रूप से धार्मिक महत्व प्राप्त है.
उपवास और पूजा विधि:
एकादशी व्रत में भक्तजन पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात को भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. विशेष रूप से इस दिन नींद में कटौती, नशीली चीजों से दूर रहना और प्रपंच से दूर रहकर पूजा-अर्चना की जाती है.