Swarved Mahamandir

Tourism Ministry organizes Spiritual Tourism and Meditation Conference in Varanasi to boost global appeal

पर्यटन मंत्रालय ने वाराणसी में आध्यात्मिक पर्यटन और ध्यान सम्मेलन का आयोजन किया [Tourism Ministry organizes Spiritual Tourism and Meditation Conference in Varanasi to boost global appeal]

वाराणसी, जिसे आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र माना जाता है, में पर्यटन मंत्रालय ने एक विशेष “आध्यात्मिक पर्यटन और ध्यान सम्मेलन” का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत के आध्यात्मिक पर्यटन को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना और स्वर्वेद महा मंदिर जैसे प्रतिष्ठित स्थानों की महत्ता को उजागर करना था।

कार्यक्रम में देश-विदेश से आए सैकड़ों प्रतिभागियों, ध्यान विशेषज्ञों और आध्यात्मिक गुरुओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के दौरान ध्यान, योग और आध्यात्मिकता पर केंद्रित विभिन्न सत्र आयोजित किए गए, जिनमें स्वर्वेद महा मंदिर की आध्यात्मिकता और इतिहास पर विशेष चर्चा की गई।

Swarved Mahamandir
Tourism Ministry organizes Spiritual Tourism and Meditation Conference in Varanasi to boost global appeal

पर्यटन मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि “भारत के पास आध्यात्मिक पर्यटन को लेकर अपार संभावनाएं हैं। वाराणसी जैसे शहर न केवल भारतीय संस्कृति की पहचान हैं बल्कि विश्व भर के पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करते हैं। स्वर्वेद महा मंदिर जैसे स्थल ध्यान और आत्मशांति के लिए अद्वितीय हैं।”

सम्मेलन में डिजिटल माध्यमों और प्रचार अभियानों के जरिए भारत के आध्यात्मिक स्थलों को विश्वभर में बढ़ावा देने की योजना बनाई गई। इसके साथ ही, पर्यटकों के लिए विशेष ध्यान और योग कार्यक्रमों को विकसित करने पर भी चर्चा हुई।

स्वर्वेद महा मंदिर, अपनी भव्य वास्तुकला और आध्यात्मिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, और यह सम्मेलन इस मंदिर की वैश्विक पहचान बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि भारत, अपनी प्राचीन धरोहर और आध्यात्मिकता के माध्यम से, वैश्विक स्तर पर पर्यटन को एक नई दिशा देने में सक्षम है।

6-7 दिसंबर को क्या होगा वाराणसी में? जानिए यहां (Swaraveda Mahamandir Dham)

6-7 दिसंबर को क्या होगा वाराणसी में? जानिए यहां (Swaraveda Mahamandir Dham)

वाराणसी में एक बार फिर होगा ऐतिहासिक स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ

उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) शहर में 6-7 दिसंबर 2024 को एक और ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है। स्वर्वेद महामंदिर धाम (Swaraveda Mahamandir Dham), जो आध्यात्मिकता और संस्कृति का प्रमुख केंद्र बन चुका है, इस बार 25,000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ का आयोजन करेगा। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

पिछले आयोजन का इतिहास

17-18 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वर्वेद महामंदिर का उद्घाटन किया था। उसी समय 25,000 कुंडीय हवन यज्ञ का आयोजन हुआ था, जिसने विश्व स्तर पर ध्यान खींचा। यह महायज्ञ न केवल भव्यता के लिए जाना गया बल्कि यह भारतीय परंपरा और संस्कृति की जड़ों को मजबूत करने का प्रतीक बना।

इस बार 6 और 7 दिसंबर को एक बार फिर वैसी ही दिव्यता और भव्यता देखने को मिलेगी। श्रद्धालुओं का कहना है कि यह महायज्ञ मानव कल्याण, पर्यावरण संरक्षण और विश्व शांति के उद्देश्यों को समर्पित होगा।


स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ: क्या है इसका महत्व?

स्वर्वेद महायज्ञ भारतीय संस्कृति और दर्शन का अनूठा स्वरूप है। यह महायज्ञ न केवल धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करता है, बल्कि विज्ञान और आध्यात्मिकता के संगम का भी प्रतीक है। 25,000 कुंडीय महायज्ञ एक ऐसा आयोजन है जो व्यक्तिगत जीवन को शुद्ध करने, सामूहिक चेतना को जागृत करने और पर्यावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का कार्य करता है।

मुख्य उद्देश्य

  1. मानव कल्याण: यज्ञ से मानसिक और शारीरिक शुद्धि होती है।
  2. पर्यावरण संरक्षण: यज्ञ में उपयोग किए जाने वाले प्राकृतिक सामग्री से पर्यावरण शुद्ध होता है।
  3. विश्व शांति: यज्ञ से सामूहिक चेतना जागृत होती है, जो शांति का मार्ग प्रशस्त करती है।

आयोजन की भव्यता

इस बार का आयोजन पिछले वर्षों से भी अधिक भव्य और व्यवस्थित होने की उम्मीद है। श्रद्धालुओं ने बताया है कि महायज्ञ के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं:

  1. यज्ञ मंडप: 25,000 कुंडों का निर्माण किया जाएगा।
  2. श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं: लाखों लोगों के रहने और खाने की व्यवस्था होगी।
  3. संस्कृति और परंपरा का प्रदर्शन: यज्ञ के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम और भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाएगा।

समाज और देश पर प्रभाव

स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ जैसे आयोजन भारतीय समाज को एक नई दिशा प्रदान करते हैं। ये न केवल हमारी धार्मिक परंपराओं को जीवंत बनाए रखते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनते हैं। इसके अलावा, इस आयोजन का पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव भी सकारात्मक है:

  1. पर्यावरणीय लाभ: यज्ञ से वायु में शुद्धिकरण होता है।
  2. सामाजिक जुड़ाव: यह आयोजन समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने का कार्य करता है।
  3. आर्थिक प्रोत्साहन: स्थानीय व्यवसायों और पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।

सरकार और स्थानीय प्रशासन की भूमिका

ऐसे भव्य आयोजन में सरकार और प्रशासन का योगदान महत्वपूर्ण होता है। वाराणसी प्रशासन ने आयोजन स्थल पर सुरक्षा और सुविधाओं को प्राथमिकता दी है। साथ ही, यातायात और भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष टीमें लगाई गई हैं।


6-7 दिसंबर का यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को विश्व स्तर पर प्रस्तुत करने का एक अनूठा अवसर है। स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ न केवल आध्यात्मिकता को जागृत करेगा, बल्कि समाज को एकजुट करने और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देगा।

यदि आप इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो वाराणसी की यात्रा जरूर करें और इस अनूठे अनुभव का लाभ उठाएं।

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Swarved Mahamandir Dham | स्वर्वेद महामंदिर धाम | विश्व के सबसे बड़े साधना केन्द्रों में है.

Swarved Mahamandir Dham

HIGHLIGHTS

  • मंदिर में 135 फीट ऊंची सद्गुरु सदाफल देव की सैंडस्टोन प्रतिमा का निर्माण हुआ है।
  • मंदिर में 3 लाख घन फीट में ही नक्काशी दार गुलाबी सैंडस्टोनका प्रयोग हो रहा है।
  • स्वर्वेद महामंदिर में मकराना संगमरमर की दीवारों पर 4,000 स्वर्वेद दोहे उत्कीर्ण होंगे।

 

 

 

 

 

Swerved

 

देश की आध्यात्मिक-सांस्कृतिक राजधानी उमरान में निर्माणाधीन विशाल साधना केंद्र  स्वर्वेद महामंदिर अपने आप में अनूठा है। कारण यह है कि यह मंदिर शिल्प और अत्याधुनिक तकनीक के अद्भुत सामंजस्य का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इस मंदिर में विहंगम योग की 98वीं वर्षगांठ पर पहुंचे थे.

विश्वनाथ धाम के साथ ही यह महान मंदिर काशी के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के शिखर को भी ऊंचा करने वाला है। वर्तमान में यहां तीन दिवसीय वार्षिक उत्सव मनाया जा रहा है। जिसमें आज पीएम मोदी भी शामिल होने पहुंचे और देश भर से आए श्रद्धालुओं को संबोधित किया.



अगर हम इस मंदिर की बात करें तो यह वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। 64 हजार वर्ग फुट में बन रहे सात मंजिला महामंदिर का निर्माण करीब 18 साल पहले शुरू हुआ था। अब मंदिर में स्वर्वेद  के दोहे अंकित किए जा रहे हैं। मुख्य गुम्बद 125 पंखुड़ियों वाले विशाल कमल के फूल के समान है।

गुजरात में जीआरसी तकनीक से बन रहे नौ गुंबद नौ कमल के समान होंगे। स्वर्वेद  महामंदिर को देश का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र भी माना जाता है। महामंदिर परिसर में सद गुरुदेव की 100 फीट ऊंची बलुआ पत्थर की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी।

Swarved Mahamandir Dham | स्वर्वेद महामंदिर धाम

मई 2017 में स्वर्वेद  महामंदिर धाम में 21 हजार कुण्डीय स्वर्वेद  परवर्ती ज्ञान महायज्ञ हुआ। उस समय इसे इतिहास का सबसे बड़ा यज्ञ भी कहा जाता था। विहंगम योग के माध्यम से नशामुक्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाले आध्यात्मिक अभियान से हर साल लाखों लोग जुड़ रहे हैं।

 तीन लाख वर्ग फुट में गुलाबी पत्थरों को तराशने के लिए 350 से ज्यादा शिल्पकार जुटे हैं. प्राचीन स्थापत्य के अनुरूप निर्मित हो रहे इस दिव्य आध्यात्मिक केंद्र की एक झलक पाने के लिए विश्व के अनुयायी उत्सुक हैं।

 

महामंदिर में मकराना पत्थर पर स्वरवेद के दोहे अंकित होंगे। वाटर जेट तकनीक की मदद से 50 हजार वर्ग फुट पर पांच हजार दोहे उकेरे जा रहे हैं। महामंदिर को सुंदर बनाने के साथ-साथ स्थापत्य का भी पूरा ध्यान रखा गया है। पूर्व दिशा में बहने वाली नहर को जल चिन्ह के रूप में स्थापित किया जाता है।

 13 से 15 दिसंबर तक स्वर्वेद महामंदिर धाम में होने वाले विहंगम योग संत समाज और 5100 कुंडिया विश्वशांति वैदिक महायज्ञ की 98वीं वर्षगांठ में भाग लेने के लिए विभिन्न प्रांतों और विदेशों से अनुयायी पहुंचे हैं.



4 लाख स्क्वेयर फीट में वाटर प्रूफ पंडाल का इंतजाम किया गया है. भंडारे के लिए सात बड़े भोजनालय और छह कैंटीन की व्यवस्था की गई है। पूरे महामंदिर परिसर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है।

स्वर्वेद

 

स्वर्वेद का अर्थ क्या है?
स्वर्वेद की व्युत्पत्ति 2 शब्दों से ली गई है- ‘स्वाह’ का अर्थ है ब्रह्म, सार्वभौमिक ऊर्जा और ‘वेद’ का अर्थ है ज्ञान। एक आध्यात्मिक ग्रन्थ स्वर्वेद को समर्पित मूल रूप से 7 चक्रों को समर्पित 7 तलों का यह एक आध्यात्मिक मंदिर है। महामंदिर का मुख्य उद्देश्य मानव जाति को अपनी शानदार आध्यात्मिक विरासत से जोड़ना, उसकी आभा और अनुभवों से दुनिया को परिचित कराना है। 



यज्ञ त्याग भाव है। अग्नि की ज्वाला सदैव ऊपर की ओर उठती है। अग्नि को बुझा सकते हैं, नीचे झुका नहीं सकते। वैसे ही हमारा जीवन भी ऊध्र्वगामी हो, श्रेष्ठ औश्र पवित्र पथ पर, कल्याणकारी पथ पर निरंतर गतिशील रहे। अग्नि को पवित्र करती है, शुद्ध करती है। हमारे अंतःकरण में ज्ञान की अग्नि जलती रहे, अंधेरा न हो हमारे अंतःकरण में। शरीर में कर्म की अग्नि जलती रहे। इन्द्रियों में तप की अग्नि जलती रहे। श्रेष्ठ विचारों की, सद्विचारों की अग्नि प्रज्ज्वलित रहे। अशुभ नष्ट होता रहे। यज्ञ की अग्नि यही संदेश देती है।

 



सन्त प्रवर विज्ञानदेव महाराज ने उमरहां, वाराणसी स्थित स्वर्वेद महामन्दिर धाम पर 5101 कुण्डीय विश्व शान्ति वैदिक महायज्ञ में व्यक्त किए। संत प्रवर ने यह भी कहा कि यज्ञ श्रेष्ठ मनोकामनाओं की पूर्ति और पर्यावरण शुद्धि का भी साधन है। परन्तु यज्ञ यहीं तक सीमित नहीं है। वैदिक हवन यज्ञ हमारे भीतर त्याग की भावना का विकास करता है। मैं और मेरा से ऊपर उठकर विश्व शान्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। आज हो रहे ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकने का यह एक ससक्त माध्यम है। इस पर सभी पर्यावरण चिंतको का ध्यान अवश्य होना चाहिए। यज्ञ एवं योग के सामंजस्य से ही विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। महाराज जी ने बताया कि यज्ञ का धुँआ कोई डीजल या पेट्रोल का धुंआ नहीं है। यह आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों का लाभकारी धूम्र है जिससे स्वास्थ्य लाभ एवं पर्यावरण शुद्धि दोनों का लाभ होता है।



यह महायज्ञ विहंगम योग के 98वें वार्षिकोत्सव, देश की आजादी के लिए विहंगम योग के प्रणेता सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज की जेल यात्रा के शताब्दी वर्ष और आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित 3 दिवसीय कार्यक्रम में हुआ जिसमें लगभग 1 लाख लोगों ने भाग लिया।

भव्य एवं आकर्षक ढंग से सजी 5101 कुण्डीय यज्ञ वेदियों में वैदिक मंत्रों की ध्वनि से संपूर्ण वातावरण शुचिता को धारण करते हुए गुंजायमान हो उठा। विश्वशांति वैदिक महायज्ञ में संपूर्ण भारत वर्ष के साथ के साथ दर्जनों देशो से आए भक्तों ने एक साथ इस पावन अवसर पर भौतिक एवं आध्यात्मिक उत्थान के निमित्त वैदिक मंत्रोंच्चारण के साथ यज्ञ कुंड में आहुति को प्रदान किये।



इस कार्यक्रम में विहंगम सेवा केंद्र का भव्य वृहत स्टाल लगा है जहाँ पर आश्रम द्वारा प्रकाशित सैकड़ो साहित्य, आध्यात्मिक मासिक पत्रिका , विशुद्ध जड़ी बूटियों से निर्मित आयुर्वेदिक औसाधियाँ, गो आधारित पंचगव्य औषधियों आदि सेवा प्रकल्पों का केंद्र बना हुआ है। कार्यक्रम में 14 दिसंबर को पधारे मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई ट्वीट कर कार्यक्रम के लिए अपनी शुभकामनाएँ भी व्यक्त की हैं।

कार्यक्रम स्थल स्वर्वेद महामन्दिर धाम विश्व के सबसे बड़े साधना केन्द्रों में है। लाखों टन श्वेत मकराना संगमरमर एवं गुलाबी सैण्डस्टोन से सुसज्जित यह महामन्दिर सद्गुरुदेव के आध्यात्मिक महाग्रंथ स्वर्वेद के साथ-साथ ऋषि संस्कृति का भी संदेश दे रहा है। मन्दिर के भीतर एवं बाहर लगी एक-एक कलाकृति किसी न किसी आध्यात्मिक संदर्भ या संदेश पर आधारित है। महामन्दिर का निर्माण तेजी से पूर्णता की ओर बढ़ रहा है।

कार्यक्रम स्थल स्वर्वेद महामन्दिर धाम विश्व के सबसे बड़े साधना केन्द्रों में है। लाखों टन श्वेत मकराना संगमरमर एवं गुलाबी सैण्डस्टोन से सुसज्जित यह महामन्दिर सद्गुरुदेव के आध्यात्मिक महाग्रंथ स्वर्वेद के साथ-साथ ऋषि संस्कृति का भी संदेश दे रहा है। मन्दिर के भीतर एवं बाहर लगी एक-एक कलाकृति किसी न किसी आध्यात्मिक संदर्भ या संदेश पर आधारित है। महामन्दिर का निर्माण तेजी से पूर्णता की ओर बढ़ रहा है।

Swarved Mahamandir Dham | स्वर्वेद महामंदिर धाम | विश्व के सबसे बड़े साधना केन्द्रों में है.
और सबसे बड़ी सेवा, मानवता की सेवा है। महामन्दिर में हर-जाति धर्म के 20,000 लोग एक साथ ध्यान साधना कर सकेंगे। विहंगम योग की साधना पर अनेक देशों में हुए वैज्ञानिक शोध यह सिद्ध कर चुके हैं कि इस साधना द्वारा व्यक्ति का स्वयं के मन पर नियंत्रण होने लगता है। नशा-मुक्ति सहित समस्त अनुचित कार्यों के प्रति मनुष्य स्वयं को रोक लेता है। अच्छे विचारों, अच्छे कार्यों की ओर प्रवृत्ति होने लगती है। एक श्रेष्ठ मनुष्य का निर्माण संसार की सबसे बड़ी सेवा है।
कार्यक्रम के संध्याकालीन सत्र में सन्त प्रवर विज्ञानदेव जी महाराज ने अपने सत्संग अमृत में स्वर्वेद महाग्रंथ की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वर्वेद ईश्वरीय ज्ञान का सद्ग्रंथ है, कोई बुद्धि के आधार पर लिखा गया ग्रंथ नहीं है। यह अमर हिमालय योगी सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज के योग समाधि में अनुभवों की अभिव्यक्ति है। अन्तिम सत्र में सद्गुरु आचार्य स्वतंत्रदेव महाराज की अमृतवाणी हुई। स्वामीजी ने बतलाया कि हमें सांसारिक मनोकामनाओं के बजाय सद्गुरु से भक्ति की ही मांग करनी चाहिए। एक भक्त की हर आवश्यकता समय से पूर्ण हो जाती है। प्रेम की पराकाष्ठा ही भक्ति है। अनन्य प्रेम एवं समर्पण भाव जीवन को बहुत आगे ले जाता है। भक्त-शिष्यों का जिज्ञासा-भाव विपरीत मौसम पर भारी था।
 
Swerved Mahamandir Dham is one of the largest meditation centres in the world.

 

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