खूँटी :यज्ञ से होता है सार्वांगीण विकास :स्वामी विज्ञानदेव जी महाराज | प्राचीन महादेव मंडा में 501 कुंडिया विश्व शांति वैदिक महायज्ञ व विहंगम योग समारोह का आयोजन किया गया

 यज्ञ से होता है सार्वांगीण विकास : स्वामी विज्ञान देव जी महाराज 

Khunti Vihangam yog

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मंगलवार को शहर के प्राचीन महादेव मंड में 501 कुंडिया विश्व शांति वैदिक महायज्ञ  व विहंगम योग समारोह का आयोजन किया गया । ध्वज फरहा कर माल्यार्पण कर… 

मंगलवार को शहर के प्राचीन महादेव मंडा में 501 कुंडिया विश्व शांति वैदिक महायज्ञ और विहंगम योग समारोह का आयोजन किया गया. ध्वजारोहण, माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर महायज्ञ का शुभारंभ हुआ। यज्ञ में मुख्य अतिथि के रूप में  संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज पहुंचे। खूंटी की धरती पर पारंपरिक तरीके से भव्य स्वागत किया गया। भजन और गीत भी प्रस्तुत किए गए। संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज ने महायज्ञ में पहुंचे भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों ने कहा था कि यज्ञ करने से सर्वांगीण विकास होता है। जीवन भर कल्याणकारी है। यज्ञ करने से हृदय परिवर्तन होता है। गृहस्थ जीवन में यज्ञ करना लाभदायक होता है। शारीरिक रोग दूर होती है और हवा और पानी शुद्ध होता है।





 यज्ञ से ही पर्यावरण की रक्षा भी होती है। सृष्टि के लिए अत्यंत लाभकारी है। शास्त्रों में यज्ञ है। उन्होंने कहा कि सभी को अपने घरों में ही यज्ञ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमेशा मां की पूजा और सेवा करनी चाहिए। माँ सबसे अच्छी है। उन्होंने ऋषियों को उद्धृत करते हुए कहा कि माता-पिता की निरंतर सेवा करनी चाहिए, जिसे शास्त्रों में मातृ देवः भवः पितृ देवः भवः अतिथि देवः भवः कहा गया है। महात्मा, ऋषि, मुनि, साधु, संत, आचार्य का सम्मान करना चाहिए। जिस घर में माता-पिता और शिक्षकों की सेवा की जाती है, वह घर स्वर्ग बन जाता है। उस घर में धन और धन की वृद्धि के साथ ही समृद्धि आती है।

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उन्होंने यह भी कहा कि देव पूजा बहुत प्रभावी है। जड़, चेतन और सूर्य की गर्मी से जीवन चलता है। आकाश, पृथ्वी, वायु, जल और अग्नि को देवता कहा गया है। उन्होंने पेड़-पौधों के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बाहर प्रदूषण फैल रहा है, यह यज्ञ प्रदूषण को साफ रखने के लिए है।  पपर्यावरण, वातावरण, विवेक ही यज्ञ है। आध्यात्मिक क्षेत्र, भौतिक क्षेत्र, कल्याण में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करें। मंत्रों में शक्ति है, वातावरण है, मन, विवेक पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आशीर्वाद का। मंत्र प्रकाशित हो चुकी है।. यह बहुत शुद्ध है, यह शुद्ध है। अप्रिय, हर्षित, प्राकृतिक। सभी के पास जीवन और आत्मा है।





 ओम ब्रह्मांड की ध्वनि है, हमारे मन को शांत करती है, वेदों का मंत्र गायत्री मंत्र है जहां शुभ यज्ञ, कल्याण, सुख, जो कुछ भी नकारात्मक है, वह अशुद्ध है, अग्नि उसे नष्ट कर देती है। जैसे आग जलती है। इसी तरह मन की ऊंचाई भी बढ़ती है। जल अमृत के समान है, मंत्र में छिपा है विज्ञान। मंत्र हवन का प्रसाद प्रदान करता है। यज्ञ सुबह 11.45 बजे से दो घंटे तक चला। इससे पहले सुबह भव्य विहंगम सोभायात्रा निकली गई । जिसमे झारखंडी संस्कृति के अनुसार संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज ओर स्वतंत्र देव जी महाराज जी का स्वागत किया गया । सोभायात्रा मे सभी श्रद्धालु अ अंकित श्वेत ध्वजा लिए , संत सद्गुरु का जयघोष लगाते हुए तथा स्वर्वेद महामंदिर निर्माण का संकल्प दोहराते हुए यज्ञ स्थल तक गए तथा संध्या में दिव्य वाणी तथा सद्गुरु श्री स्वतंत्र देव जी महाराज जी की अमृतवाणी हुई  भजन गायकों ने वैदिक भजनों की प्रस्तुति की ।कार्यक्रम का समापन वंदना आरती ओर शांति पाठ से किया गया । मौके पर झारखंड विहंगम योग संत समाज के परामर्शक सुखनंदन सिंह ,अध्यक्ष राधा कृष्ण सिंह ,उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह ,महामंत्री ललित सिंह, कार्यक्रम संयोजक जितेंद्र कश्यप, जिला संयोजक बिरसु सिंह , मनोज कुमार, सुजीत कुमार,पंकज कुमार जायसवाल, शांति विश्वकर्मा, ओम शेखर ,मुकेश कुमार सहित अन्य उपस्थित थे तथा खूंटी सहित विभिन्न जिलों के भक्तों ने भाग लिया।

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