PFI Funding:पटना में नेटवर्क टूटने के बाद बड़ा खुलासा, केरल समेत झारखंड से बिहार-यूपी को फंडिंग हुई.

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 PFI Funding:पटना में नेटवर्क टूटने के बाद बड़ा खुलासा, केरल समेत झारखंड से बिहार-यूपी को फंडिंग हुई

पटना पुलिस ने बुधवार को खुलासा किया था कि पीएफआई युवाओं को फुलवारी शरीफ में प्रशिक्षण की आड़ में धार्मिक उन्माद फैलाने और हथियारों का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दे रहा है. इतना ही नहीं, जांच में यह भी पाया गया है कि झारखंड में प्रतिबंध के बावजूद बिहार और यूपी समेत कई अन्य राज्यों में पीएफआई के विस्तार के लिए वहां से फंडिंग की गई थी.

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पटना में बुधवार को पीएफआई के एक नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ. जिसके बाद इस बात की गहन जांच की जा रही है कि इस प्रतिबंधित संगठन की जड़ें बिहार और उसके पड़ोसी राज्यों में कहां फैली हैं. अब तक की जांच में सामने आया है कि बिहार के कई जिलों के अलावा यह प्रतिबंधित संगठन पड़ोसी राज्यों में भी अपनी जड़ें जमा रहा था. पता चला है कि झारखंड में पिछले चार साल से प्रतिबंधित होने के बाद भी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया बिहार के अलावा देश के खिलाफ एक बड़ी साजिश रचने की तैयारी में था.

पटना पुलिस ने बुधवार को खुलासा किया था कि पीएफआई युवाओं को फुलवारी शरीफ में प्रशिक्षण की आड़ में धार्मिक उन्माद फैलाने और हथियारों का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दे रहा है. इतना ही नहीं, जांच में यह भी पाया गया है कि झारखंड में प्रतिबंध के बावजूद बिहार और यूपी समेत कई अन्य राज्यों में पीएफआई के विस्तार के लिए वहां से फंडिंग की गई थी.

गौरतलब है कि झारखंड में सरकार ने पहली बार 21 फरवरी 2018 को इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया था. तब इस संगठन के सदस्य सरकार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट गए थे. जिसके बाद 27 अगस्त 2018 को प्रतिबंध हटा लिया गया था, हालांकि तब अदालत ने सरकार को निर्देश दिया था कि सरकार त्रुटियों को दूर करके पीएफआई के खिलाफ प्रतिबंध फिर से लगा सकती है और सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक एसएलपी दायर कर सकती है। कोर्ट के निर्देश को लागू करते हुए झारखंड सरकार ने तकनीकी खामियों को दूर करते हुए मार्च 2019 में पीएफआई पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया.

पीएफआई के खिलाफ पटना पुलिस की जांच में यह भी पता चला है कि झारखंड की पीएफआई इकाई को पहले केरल से फंड मिलता था, लेकिन झारखंड में समय बदलने और प्रतिबंध के बावजूद न सिर्फ झारखंड से बल्कि बिहार और उत्तर प्रदेश से भी पैसा मिलता है. पश्चिम बंगाल और केरल से। झारखंड में सुरक्षा बलों के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रदेश के संताल परगना में हो रही ‘खनिज लूट’ में 25 फीसदी राशि पीएफआई तक पहुंच रही है. दरअसल झारखंड खनिज संपदा से समृद्ध है और वहां नक्सलियों का दबदबा ज्यादा है, जिसके कारण ऐसा होता है.

गौरतलब है कि झारखंड में पीएफआई के प्रतिबंध के बाद भी इसकी राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया काफी सक्रिय है. इसके जरिए दूसरे राज्यों में चल रही पीएफआई की इकाइयों को भी फंड भेजा जा रहा है। पीएफआई चुनाव में अपने संगठन के सदस्यों को जिताने में भी भूमिका निभाता है। 

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