3 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट SUPREM COURT ने सहारा समूह, SAHARA GROUP को अपने 10,000 करोड़ रुपये की देनदारी चुकाने के लिए संपत्तियों को बेचने की अनुमति दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि सहारा समूह (Sahara group) पर अपनी संपत्तियों को बेचने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है, बशर्ते वे सर्कल रेट पर या सर्कल रेट से 10% कम पर बेची जाएं। यदि संपत्ति को इससे कम मूल्य पर बेचना हो, तो इसके लिए अदालत की अनुमति लेनी होगी। सहारा को 5 सितंबर तक एक योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है जिसमें यह बताया जाए कि कौन-कौन सी संपत्तियां बेची जाएंगी और उनका बिक्री मूल्य क्या होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को इस बात की भी याद दिलाई कि उन्हें निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए पहले ही कई मौके दिए जा चुके हैं, और अब समय आ गया है कि वे अपने दायित्वों को पूरा करें.
3 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह और सेबी (SEBI) के बीच लंबे समय से चल रहे मामले में महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। अदालत ने सहारा समूह को अपने 10,000 करोड़ रुपये की देनदारी चुकाने के लिए संपत्तियों को बेचने की अनुमति दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सहारा समूह अपनी संपत्तियों को सर्कल रेट पर या सर्कल रेट से 10% कम पर बेच सकता है। अगर संपत्तियां इससे भी कम मूल्य पर बेची जानी हैं, तो इसके लिए अदालत की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक होगा.
इस मामले की पृष्ठभूमि में 2012 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, जिसमें सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन को 15% वार्षिक ब्याज के साथ निवेशकों का पैसा लौटाने का निर्देश दिया गया था। तब से सहारा समूह ने अब तक पूरी राशि का भुगतान नहीं किया है, जिसके चलते अदालत की निगरानी बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सहारा समूह को पहले ही पर्याप्त अवसर दिए जा चुके हैं, और अब उन्हें बिना देरी किए अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी.
सेबी ने कोर्ट को बताया कि उनके पास वर्तमान में लगभग 15,000 करोड़ रुपये की राशि जमा है, लेकिन पूरी रकम को इकट्ठा करने के लिए अभी भी 10,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। अदालत ने सहारा समूह से यह स्पष्ट करने को कहा कि वे शेष राशि का भुगतान कैसे करेंगे और किन संपत्तियों को बेचकर इसे जुटाया जाएगा.
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इस मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी, जिसमें सहारा द्वारा प्रस्तुत योजना की समीक्षा की जाएगी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कठोर निर्देश दिए हैं, ताकि निवेशकों को उनका पैसा वापस मिल सके.